जल वे भरने आ गये , जलवे लेकर साथ
नल की साँसें थम गई ,खाली गगरी हाथ |
नल नखरे दिखला रहा ,चिढ़ा रहा नलकूप
पल भर में मुरझा गया ,निखरा निखरा रूप |
ताल - तलैया शुष्क थे ,नल की थी हड़ताल
नयनों का जल छलकता,काजलबहता गाल |
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पानी पानी हो गई , ऐसी आई लाज
घूंघट पट खोला नहीं , सैंया हैं नाराज |
देख सकी पनघट नहीं, कैसे भरती नीर
घूंघट ही बैरी हुआ , कासे कहती पीर |
घूंघट पट पलटा गई , ऐसी चली बयार
निर्निमेष पिय देखते , सूरत पानीदार |
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