Quantcast
Channel: सृजन मंच ऑनलाइन
Viewing all articles
Browse latest Browse all 509

अरुण निगम के दोहे :

$
0
0


जल  वे  भरने    गये   ,  जलवे  लेकर  साथ
नल  की  साँसें  थम  गई ,खाली  गगरी  हाथ  |

नल  नखरे  दिखला  रहा ,चिढ़ा रहा नलकूप
पल  भर में  मुरझा  गया ,निखरा निखरा रूप |

ताल - तलैया  शुष्क थे  ,नल की थी  हड़ताल
नयनों का जल छलकता,काजलबहता गाल  |

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

पानी  पानी  हो  गई  ,   ऐसी  आई  लाज
घूंघट पट खोला नहीं  , सैंया  हैं  नाराज |

देख सकी पनघट नहीं, कैसे भरती नीर
घूंघट  ही   बैरी  हुआ , कासे  कहती  पीर |

घूंघट पट पलटा गई ,  ऐसी  चली  बयार
निर्निमेष  पिय  देखते , सूरत  पानीदार |
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

Viewing all articles
Browse latest Browse all 509

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>