"समीक्षा पोस्ट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मित्रों! दोहा छन्द अर्धसम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं। दोहा छन्द ने काव्य साहित्य के प्रत्येक काल...
View Articleदोहा छंद
दोहा छंद, शिल्प - इसमें दो पद होते है और प्रयेक यति तेरह और ग्यारह की मात्रा पर होती है। [दोहा छंद की रचना क्रिकेट विषय पर की गयी है] पच्छम मग से खेल यह, लाये थे अंग्रेजदेशज थाती त्याग हम, उनके लिए...
View Articleहिन्दी छन्द परिचय, मात्रा गणना****
हिन्दी छन्द परिचय, मात्रा गणना****हिन्दी छन्द रचना के लिए छन्द शास्त्र की मूल बातों से परिचित होना आवश्यक है छन्द वह नियम है जिसके अंतर्गत हम निश्चित मात्रा संख्या अथवा निश्चित मात्रा पुंज (गण) अथवा...
View Article***नीति के दोहे ***
कबहुँ सुखी क्या आलसी, ज्ञानी कब निद्रालु ?वैरागी लोभी नहीं, हिंसक नहीं दयालु!! १शक्ति क्षीण करते सदा, यदि अवगुण हों पासदुर्गुण रहित चरित्र में, होता शक्ति निवास!!२गुरुता का व्यवहार ही, गुरु को करे...
View Articleजो मन की पाती पढ़ें ,तो दुख काहे होय|| (पांच दोहे)
कंधोंपरतूढोरहा ,क्योंकागज काभार|आरक्षणतुझकोमिले,पढ़नाहैबेकार||-------(व्यंग्य)मनकागजपरजबचले ,होकरकलमअधीर|शब्द-शब्दमिलतेगले...
View Articleदोहावली
-1-स्वर्ण कलश द्वै आपके,अमृत विष ज्यों साथ |अमृत शैशव पा रहा, विष प्रियतम के हाथ |-2-अहंकार सुख में नहीं, दुर्दिन में हो धीर |यही ध्यान रख जो चलें,कभी न भोगें पीर |- 3 -निर्मल्-निश्छल आंख में,स्वपनों...
View Articleचंदा चंचल चाँदनी, तारे गाएँ गीत...........ऋता शेखर "मधु"
सदगुणियों के संग से,मनुआ बने मयंकज्यों नीरज का संग पा,शोभित होते पंकचंदा चंचल चाँदनी, तारे गाएँ गीतपावस की हर बूँद पर, नर्तन करती प्रीतशुभ्र नील आकाश में, नीरद के दो रंगश्वेत करें अठखेलियाँ, श्याम...
View Articleसुप्रभात दोहे 1.
सुप्रभात दोहे रचने, मैं आई हूँ आज |अधर पर मुस्कान लिए,करती हूँ आगाज ||रोज ले आए नई ,सुबह सुखद सन्देश |पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश||आये कोई विघ्न ना ,सर पर रखना हाथ|पूरी करना कामना ,हे नाथों के...
View Articleकुछ और दोहे....
कमल मलिन कब है सुना,निर्मल बसता तालपंक स्वयम् ही बोलता,यह गुदड़ी का लालबूँद समुच्चय जब झरे,झर-झर झरता प्यारबूँद समुच्चय जो फटे,मचता हाहाकारश्वेत साँवरे घन घिरे,लेकिन अपना कौनगरजे वह बरसे नहीं,जो बरसे वह...
View Article"समीक्षा पोस्ट" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मित्रों! किसी रचनाधर्मी की पोस्ट पर कलम चलाना उस कड़वी औषधि के समान है जिसको पीना गरल से कम नहीं होता, मगर स्वस्थ होने के लिए यह आवश्यक होती है। मैं कोई विद्वान नहीं हूँ लेकिन मेरे अपने...
View Article"बिटिया कोहेनूर है" (दिलबाग विर्क)
बाँहे फैलाए तुझे , बिटिया रही पुकारतुम जालिम बनना नहीं ,वो मांगे बस प्यार । निश्छल , मोहक , पाक है , देखो ये मुस्कान भूलें हमको गम सभी , जाएं जीत जहान । मत मारो तुम गर्भ में , बिटिया घर की शान ये...
View Articleदोहों पर दोहे
उर्दू में है शेर ज्यों, दोधारी शमशीर |हिंदी में दोहा अटल, सही लक्ष्य का तीर |शेरो में शायर भरे, पूरे मन के भाव |इसी भाँति दोहा करे, सीधे मन पर घाव |गजल शेर का एक जुज, हो इनसे परिपूर्ण |पर दोहा है...
View Articleमँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप
निर्मल मन मैला बदन , नन्हे नन्हे हाथ। रोटी का कैसे जतन, समझे ना ये बात॥ तरसे इक- इक कौर को ,भूखे कई हजार। गोदामों में सड़ रहे, गेहूं के अम्बार॥ राहत को तकते नयन , पूछ रहे है बात। प्रजा तंत्र के...
View Articleअवशेष - दोहों पर दोहे
सात रंग, ढंग से भरें, इंद्र धनुष हो जाय |सतसैया से गठन से, काव्य अमर हो जाय |चारों भागों में भरें, चाहे रंग अनेक |उचित एक भरना लगे, भरदें केवल एक |अगर कभी मन में उठें, सुंदर सुगढ़ विचार |बिन विलम्ब...
View Articleसौन्दर्य वर्णन - दोहे
कृष्ण मेघ से कृष्णता, ले केशों में डाल |उठा दूज का चाँद ज्यों, रचा विधाता भाल |खिची कमान भोंहें रची, पलक सितारे डाल |नयन कटीले रख दिए, मृग से नयन निकाल |तीखी, सीधी और खड़ी, रची विधाता नाक |रक्तवर्ण, रस...
View Articleअरुण निगम के दोहे :
जल वे भरने आ गये , जलवे लेकर साथनल की साँसें थम गई ,खाली गगरी हाथ |नल नखरे दिखला रहा ,चिढ़ा रहा नलकूपपल भर में मुरझा गया ,निखरा निखरा रूप |ताल - तलैया शुष्क थे ,नल की थी हड़ताल...
View Articleआँगन में बिखरे रहे, चूड़ी कंचे गीत........दिगम्बर नाशवा
आँगन में बिखरे रहे, चूड़ी कंचे गीतआँगन की सोगात ये, सब आँगन के मीतआँगन आँगन तितलियाँ, उड़ती उड़ती जायँइक आँगन का हाल ले, दूजे से कह आयँबचपन फ़िर यौवन गया, जैसे कल की बातआँगन में ही दिन हुआ, आँगन में...
View Article"रिश्तों के दोहे" (डॉ.राज सक्सेना)
रिश्तों में शामिल हुए, जब से ये इनलाज |चिंदी-चिंदी हो गया, जकड़ा हुआ समाज |रिश्तों की कड़वाहटें, देती रहीं दलील |हम ही रौशन कर रहे, रिश्तों की कंदील |बिना क्रांति या युद्ध के, रिश्ते हुए तमाम |देते...
View Articleरिश्तों पर कुछ और दोहे
दरकीं रिश्तेदारियां, नाते सब विद्रूप |स्वारथ ने बांटी सुबह, मुट्टी-मुट्ठी धुप ||-०-बदल गईं गर्माहटे, ठंडे मन के मेल |सहमी प्रीत निभा रही, सम्बन्धों के खेल ||-०-रिश्ते छोटे हो गए, बड़ी हो गई...
View Articleप्रेम और मनुहार (दोहे)
बीसबरसमेंथीबनी ,प्रेमभरीदीवार। बीसदिवसभीनालगे ,डालीबीचदरार॥ नेहनीरसेसींचकर ,बोयाथाविश्वास। दीमकजड़तककबगई ,नहींहुआआभास॥ छुपीहुई हर ह्रदय में ,देखोएककिताब |जिसकेपन्नोमेंछुपा,बिसराहुआगुलाब || मिला...
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